Friday, June 13, 2025

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माइक्रोब्रुअरी बिजनेस के नियमों में बदलाव है जरूरी

बीयर उद्योग लगभग 1 प्रतिशत सालाना की दर से दुनिया भर में बढ़ रहा है। भारत में इसके विपरीत बीयर उपभोग की दर दुनिया के कई देशों से अधिक है। उत्तर प्रदेश में बीयर की मांग में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी जबकि उसके पहले 2021-22 में 67.7 प्रतिशत की बीयर उपभोग में वृद्धि हुई थी। बीयर की बढ़ती मांग को देखते हुए बीयर कंपनियां नये-नये प्रयोग करती रहती हैं। इसी क्रम में हमारे देश में 2010 के दशक में माइक्रोब्रुअरी का कांसेप्ट कई राज्यों में लागू किया गया। हालांकि माइक्रोब्रुअरी यूएस और यूके में काफी प्रचलित थी। कुल बीयर बिक्री में क्राफ्ट बीयर मात्र 1 प्रतिशत है। माइक्रोब्रुअरी में बनने वाली क्राफ्ट बीयर का स्वाद लेने बेंगलुरू, पुणे, मुंबई और गुरूग्राम यूपी के उपभोक्ता भी जाते थे। उत्तर प्रदेश मदिरा का बड़ा उपभोक्ता वाला एक राज्य है।

सरकार ने काफी विचार मंथन के बाद जुलाई 2019 में माइक्रोब्रुअरी स्थापित करने की नीति लागू की थी। शासन ने भी माइक्रोब्रुअरी को रोजगार और राजस्व में वृद्धि वाली नीति के रूप में प्रचारित किया था। जुलाई 2024 तक राज्य में 27 माइक्रोब्रुअरी को एमबी-1 लाइसेंस बीयर उत्पादन के लिए दिया गया है।

राज्य में हैं 27 माइक्रोब्रुअरी

पर्यटन की दृष्टि से अग्रणी जनपदों में शामिल आगरा में प्रदेश की पहली

माइक्रोब्रुअरी क्या है?

यह एक छोटी बीयर निर्माण इकाई है जो एक बैच में थोड़ी मात्रा में क्राफ्ट बीयर तैयार करती है। माइक्रोब्रुअरी में खुद की गुणवत्ता ब्रुइंग तकनीक व स्वाद होता है। यह रेस्टोरेंट और पब में स्थापित होता है। उपभोक्ता यहां ताजी बीयर का स्वाद प्राप्त करते हैं। इन इकाईयों में अधिकतम 600 लीटर तक बीयर का उत्पादन यूपी में मान्य है। बीयर निर्माण के बाद इसे केग में रखा जाता है और इसे उपयोग में लाने का अधिकतम समय 72 घंटे तक का ही होता है।

माइक्रोब्रुअरी व्यूकालिक डेनिजन्स प्रा. लि. ने 2019 में लाइसेंस प्राप्त की थी। उसके बाद 2020 में दो लाइसेंस गाजियाबाद और आगरा को प्राप्त हुआ था। आगे वर्ष 2021 में 8, वर्ष 2022 में 5, वर्ष 2023 में 7 और वर्ष 2024 में अभी तक 4 माइक्रोब्रुअरी को लाइसेंस दिये गये हैं। इस समय जनपदों में सबसे अधिक इस समय नोएडा में 10,

गाजियाबाद में 5, आगरा में 4, लखनऊ में 3, प्रयागराज में 2 तथा वाराणसी, बरेली एवं मथुरा में 1-1 माइक्रोब्रुअरी संचालित हो रहे हैं। कुछ कंपनियों ने नये लाइसेंस के लिए भी आवेदन किया है।

प्रदेश सरकार माइक्रोब्रुअरी कांसेप्ट लाने के पहले इससे बहुत सारी अपेक्षाएं की थी। उच्चाधिकारी इस लाइसेंस से रोजगार

क्राफ्ट बीयर और औद्योगिक बीयर के बीच अन्तर

क्राफ्ट बीयर को अक्सर बिना फिल्टर और बिना पाश्चुरीकृत किये छोड़ दिया जाता है। इसमें कोई भी संरक्षण या रसायन नहीं मिलाते हैं। इससे बीयर ज्यादा स्वादिष्ट और दिलचस्प बन जाती है। क्राफ्ट ब्रुअर्स कुछ नई सामग्री और नई तकनीकें भी इस्तेमाल करते हैं। उनका लक्ष्य स्टाइल और स्वाद को बढ़ाना होता है। हालांकि सामान्य बीयर की तरह माल्ट, हॉप्स, खमीर और पानी के साथ शुगर का भी उपयोग किया जाता है। कुछ ब्रुअर्स इसमें फ्लेवर्स, फ्रूट और मसाले भी मिलाते हैं। क्राफ्ट बीयर अब कई प्रकार के आने लगे हैं और इनका निर्माण सीमित मात्रा में होता है। सामान्य अथवा औद्योगिक बीयर का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। प्रायः

क्राफ्ट बीयर की तुलना में औद्योगिक बीयर पानी से भरे स्वाद के लिए जानी जाती है। यही कारण है कि औद्योगिक बीयर ठंडी करके परोसी जाती है ताकि हल्का कुरकुरा स्वाद बढ़े और जिसे अधिक मजेदार बनाया जा सके। औद्योगिक बीयर में अल्कोहल की मात्रा कम रखी जा सकती है। औद्योगिक बीयर में भी माल्ट, हॉप्स, यीस्ट, शुगर और पानी का प्रयोग किया जाता है। कई बार इसकी लागत घटाने के लिए चावल, मक्का और स्टार्च जैसे कच्चे माल का भी उपयोग किया जाता है। इससे बीयर में वार्ट की मात्रा बहुत कम होती है।  वृद्धि होने की बात कर रहे थे और उनका मानना था इससे प्रदेश को भारी भरकम राजस्व भी प्राप्त होगा। उन्हें लग रहा था कि राज्य में बहुत अधिक माइक्रोब्रुअरी खुलेगी, परंतु पिछले 5 वर्षों में इस लाइसेंस को लेने वालों की संख्या बहुत कम है। उच्चाधिकारी ने आबकारी के क्षेत्रीय अधिकारियों को माइक्रोब्रुअरी की अधिक से अधिक लाइसेंस लेने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के भी निर्देश दिये थे। इसके बावजूद एनसीआर के बाहर आगरा और लखनऊ को छोड़कर अन्य जनपदों में उद्यमी अधिक रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

आबकारी के प्रभारी सीनियर टेक्निकल ऑफीसर संदीप बिहारी मोडवेल ने माइक्रोब्रुअरी व्यवसाय के ग्रोथ पर अपनी प्रतिक्रिया में बताया कि माइक्रोब्रुअरी और बार का लाइसेंस ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत बहुत कम समय में उपलब्ध कराया जाता है। प्रदेश सरकार ने निवेश प्रोत्साहन के अंतर्गत इसके लाइसेंस को सरल कर दिया है। आवेदक को सभी स्तर पर विभाग द्वारा सहयोग दिया जाता है जिससे अधिक से अधिक इसके लाइसेंस दिये जा सकें।

इस व्यवसाय में आने वाली समस्याएं और उसका समाधान

माइक्रोब्रुअरी में एनसीआर के बाहर बीयर उपभोक्ता बहुत कम आ रहे हैं। पब संचालकों का कहना है कि प्रतिदिन अधिकतम उत्पादन की लिमिट 600 बीएल है और उन्होंने 200 या 300 बीएल तक की उत्पादन के लाइसेंस लिए हैं परंतु पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि क्राफ्ट बीयर की मांग बहुत कम है। क्राफ्ट बीयर के उपभोक्ता अधिकतर प्रीमियम क्लास के होते हैं। माइक्रोब्रुअरी का संचालन करने वालों ने इस बिजनेस में आने वाली समस्याओं को दूर करने के कुछ सुझाव दिये हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक संचालक ने कहा कि माइक्रोब्रुअरी की स्थापना में इनवेस्टमेंट अधिक आता है और क्राफ्ट बीयर के उपभोक्ता भी यहां कम हैं। पूरी कैपेसिटी से उत्पादन न होने पर उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। माइक्रोब्रुअरी व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्होंने कुछ सुझाव भी दिये हैं जो निम्नलिखित हैं:- >

बीयर की सेल्फ लाइफ 72 घंटे से बढ़ाकर इसे कम से कम 15 दिन किया जाना चाहिए।

> माइक्रोब्रुअरी की उत्पादित बीयर को दूसरे बारों को बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए, इसके लिए अतिरित्त ड्यूटी भी लगाई जा सकती है।

> इस बिजनेस में अधिक निवेश को वाएबुल बनाने के लिए एक लाइसेंस पर 2-3 रेस्टोरेंट में उत्पादित बीयर बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए, जैसा कि पंजाब राज्य में नियम लागू है।

> माइक्रोब्रुअरी लाइसेंस बिना बार वाले रेस्टोरेंट को भी दिया जाना चाहिए।

> इसकी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए घरेलू स्तर पर भी लाइसेंस मिलना चाहिए। > माइक्रोब्रुअरी से केग में उपभोक्ता को बीयर बेचने की भी सुविधा दी जाए

Editorial
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The Aabkari(Abkari) Times magazine occupies a unique niche in the Indian media landscape. As the only Hindi monthly magazine dedicated to alcohol, liquor, excise, and allied industries, it caters to a specific audience with a specialized knowledge base.

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