यूपीडीए के तकनीकी सेमीनार में देश और दुनिया के 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अल्कोहल क्षेत्र में विकास और सुधार पर अपने-अपने विचारों को साझा किया। इस क्रम में यूएस ग्रेन के रीस एच कैनेडी, रीग्रीन एक्सेल के स्वप्निल शर्मा, नेचुरल रिसोर्स बायोकेम के प्रभाकर ए त्यागी, लेलेमंड बायोफ्यूल के राजेश मोहन, इंटरनेशल फ्लेवर्स एंड फ्रेगरेंस की सुश्री रीतु भल्ला और नोवाजाइम्स के डॉ. विजय अडपा ने पहले नालेज सेशन में अपने विचार और सुझाव रखे।
नालेज सेशन के दूसरे सत्र में कैटालिस्ट के डॉ. केवीटीएस पवन कुमार, स्प्रे इंजीनियरिंग के सुखराज सोनी, बेयर क्राप साइंस के संजीव शर्मा, एसएसपी प्रा.लि. के आकाश गुंडावर, रिलायंस इंडस्ट्रीज के भारत बी मेहता तथा कार्टेवा एग्री साइंस के डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने अपने सुझाव दिये। नालेज सेशन के तीसरे सत्र में राज प्रासेस के वीनू पानिकर, आयोन एक्सचेंज के अजय पोपट, रोकेम सेपरेशन के निखिल घराट तथा अवंत गार्डे के जी श्रीनाथ ने अपने सुझाव और इस क्षेत्र में हुए विकास पर जानकारियां उपलब्ध कराई।
यूपीडीए स्टेट बॉडी होते हुए बनी इंटरनेशनल निकाय
उत्तर प्रदेश डिस्टिलर्स एसोसिएशन (यूपीडीए) अल्कोहल उत्पादन क्षेत्र में यूपी के उत्पादन इकाईयों का नेतृत्व करती है। यूपीडीए लगातार प्रदेश के अल्कोहल उत्पादन के विकास के लिए कोशिश करती है। इसी क्रम में यूपीडीए ने तीसरा इंटरनेशल समिट नई दिल्ली में 19 जुलाई को आयोजित की थी। यूपीडीए के इस बार की समिट का मुख्य मुद्दा मक्के की खेती के विस्तार और एथेनॉल लक्ष्य प्राप्त करने पर आधारित था। यूपीडीए के सेक्रेटरी जनरल रजनीश अग्रवाल ने बताया कि प्रति वर्ष सेमीनार आयोजित कर अल्कोहल उद्योग को एक नया आयाम देने का प्रयास किया जता है।
यूपीडीए स्टेट बॉडी होते हुए नेशनल बॉडी से ऊपर होकर अब इंटरनेशनल संस्था बन गई है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है यूएस, फ्रांस तथा ब्राजील आदि देश सीधे यूपीडीए से जुड़े हुए हैं। देश के बाहर ही नहीं देश के अन्दर कई संगठनों के साथ मिलकर यूपीडीए अल्कोहल उत्पादन के क्षेत्र में नये-नये विकास कार्य कर रही है। यूपीडीए उत्तर प्रदेश में सरकार को राजस्व संकलन और उसमें वृद्धि के लिए सहयोग और सुझाव प्रस्तुत करती रहती है। राष्ट्रीय स्तर के ईबीपी योजना में भी यूपीडीए अपना पूरा जोर लगा दिया है।
मक्के को बढ़ावा, लेकिन कास्टिंग में हो सुधार
यूपीडीए अल्कोहल उत्पादन की बढ़ोत्तरी के लिए सभी स्तर पर प्रयास कर रही है। अल्कोहल उत्पादन में वृद्धि के लिए नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर विभिन्न संगठनों के साथ यूपीडीए ने समझौता किया है। यूपीडीए के वाइस प्रेसीडेंट ने बताया कि भारत सरकार की एथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य को पूरा करने के लिए फीड मनीष अग्रवाल के रूप में मक्के की अधिक आवश्यकता होगी। मक्के के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के लिए एसोसिएशन स्तर पर और निजी स्तर पर अल्कोहल उत्पादक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारी कपंनी सुपीरियर ने भी अपने आस पास के किसानों के साथ मिलकर मक्के की खेती को बढ़ावा देने का काम कर रही है और उन्हें बीज आदि के रूप में सहयोग भी कर रही है। किसानों के अतिरिक्त अपने फैक्ट्री के परिसर में हम मक्के की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार को मक्के की उपयोगिता को बढ़ाने के साथ ही इसकी कास्टिंग पर भी ध्यान देना होगा। चावल से एक टन में 480 लीटर और मक्के से एक टन में 380 लीटर लगभग एल्कोहल प्राप्त होता है। इसी तरह मक्के की डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्राईड ग्रेन्स विथ सोल्यूबल) की कीमत मार्केट में लगभग 10-11 रुपये है जबकि चावल की डीडीजीएस लगभग 18-20 रुपये किलो मिल जाता है। सरकार को मक्के से बने एथेनॉल की कीमत पर विचार करना होगा।