Saturday, July 5, 2025

Top 5 This Week

ADVT[the_ad_group id="3934"]

Related Posts

अवैध शराब का है 25 फीसदी बाजार

तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में जहरीली शराब पीने से 34 लोगों की मौत हुई है। कहा जा रहा है कि शराब अवैध थी। अवैध अल्कोहल का मामला देश के कई राज्यों में अक्सर हो जाता है। लेकिन यह केवल भारत में ही नहीं होता है। यूरोप से लेकर अफ्रीका तक अवैध और मिलावटी शराब का बड़ा बाजार फैला हुआ है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन ने साल 2022 में एक रिपोर्ट जारी की, जो दावा करती है कि दुनिया में शराब उत्पादन का एक चौथाई अवैध तौर पर ही होता है। यानी हर चार बोतल में एक बोतल अल्कोहल अवैध है। ये कानूनी नियमों और लाइसेंसिंग को नजरअंदाज करते हुए बनाई जाती है ताकि शराब बनाने वालों और बेचने वालों को टैक्स न देना पड़े और ज्यादा से ज्यादा फायदा हो सके।

कई बार लोगों को ये भ्रम रहता है कि अवैध शराब का मतलब है देसी शराब, लेकिन ऐसा नहीं है। देसी शराब के उत्पादन के लिए भी सरकार बाकायदा लाइसेंस देती है। दूसरी तरफ, अवैध शराब देसी या इंग्लिश दोनों ही हो सकती है, लेकिन ये बगैर लाइसेंस की होगी। अवैध होने की वजह से इसकी लागत कम रहती है, इसलिए ये सस्ती मिलती है। यही कारण है कि अक्सर कम आयवर्ग के लोग इसको पीकर जान गंवा देते हैं।

हर देश में अवैध शराब बनाने की अलग प्रक्रिया है, जो वहां के लोगों के स्वाद पर निर्भर करती है, लेकिन कुछ चीजें इसमें एक सी हैं। हमारे यहां कच्ची शराब के लिए चीनी का उपोत्पाद शीरा, पानी और यूरिया का उपयोग होता है। शीरा फर्मेंट हो सके, इसके लिए खतरनाक केमिकल भी डाले जाते हैं। कई बार इसमें यूरिया भी मिलता है ताकि नशा गहरा हो। इन सबको मिलाकर शराब बनाने के दौरान तापमान का खास महत्व है। जरा भी घटबढ़ हुई कि केमिकल्स शराब को जहरीला बना देते हैं। भारत में छोटे कस्बों या गांवों में अवैध शराब बनती है। प्रशासन की नजरों से बचने और लागत कम से कम रखने के लिए शराब में सस्ती क्वालिटी वाले उत्पाद मिला दिए जाते हैं जिससे खतरा और बढ़ जाता

है। इसके बाद पैकेजिंग में भी गड़बड़ी होती है। इसे आमतौर पर पॉलिथीन पैकेट में बेचा जाता है ताकि पैसे बचें दुनिया की बात करें तो अवैध शराब के लिए तस्करी भी जमकर हो रही है। इसमें सीधे बने हुए अल्कोहल के अलावा कच्चे माल जैसे शीरे की भी स्मगलिंग होती है। मार्केट रिसर्च पर काम करने वाली इंटरनेशनल संस्था यूरोमॉनिटर के अनुसार, अवैध शराब की तस्करी और भी कई तरीकों से होती है। जैसे ब्रांडेड अल्कोहल की खाली बोतलों में इन्हें भर दिया जाना। सरोगेट यानी इंसानी उपयोग से इतर अल्कोहल की भी तस्करी होती है, जैसे माउथवॉश, दवा या परफ्यूम में काम आने वाला अल्कोहल। शराब की अलग- अलग किस्मों से अच्छा-खास रेवेन्यू बनता है। आज तक के मुताबिक यूएन की रिपोर्ट में ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स के हवाले से कहा गया कि साल 2019 में शराब इंडस्ट्री से 70 देशों को 262 बिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ था। साथ ही 23 मिलियन से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिली थीं, जिससे अलग फायदा हुआ। ये डेटा बड़े देशों का है। विकासशील देशों को शराब से और भी ज्यादा फायदा हुआ। भारत में अल्कोहल पर भारी टैक्स लगता है। अक्सर ये कर, खरीद मूल्य का 50 प्रतिशत होता है। इसके पीछे तर्क है कि पीने का शौकीन शराब खरीदेगा। चूंकि ये बेसिक जरूरत की चीज नहीं, केवल शौक है इसलिए इसपर टैक्स भी भारी-भरकम है। ज्यादातर राज्यों में कुल राजस्व का 10 प्रतिशत लिकर टैक्स होता है। इस प्रकार वैध शराब इतनी महंगी पड़ जाती है कि निम्न आय वाले अवैध शराब खरीद लेते हैं जो कई बार उनकी जान पर बन आती है। क्या सरकार के पास है रोक लगाने का अधिकार भारत के संविधान में मादक/नशीले पेय पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया गया है। शराब स्टेट पॉलिसी के अंतर्गत है। आर्टिकल 47 राज्यों से कहता है कि हेल्थ के लिए खतरनाक नशीली चीजें, जो दवाओं में काम आ सकें, उन्हें छोड़कर बाकी सबपर रोक लगाई जा सकती है। राज्य अपनी मर्जी से तय कर सकते हैं कि उन्हें शराबबंदी करनी है या नहीं। पिछले कुछ सालों में, कई राज्यों ने शराबबंदी की कोशिश की है, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर फिर से शराब कारोबार शुरू हो गये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!

Popular Articles