Monday, July 7, 2025

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नवाचार से बदलेगी आबकारी की तस्वीर

तकनीकी विकास को देखते हुए उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग में भी तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आबकारी विभाग में IESCMS (इंटीग्रेटेड एक्साइज सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम) के माध्यम से राजस्व अर्जन प्रणाली को एकीकृत किया गया है। प्रत्येक चरण की मानीटरिंग की जा रही है अर्थात एक समय में प्रत्येक गतिविधि को देखा जा सकता है। आबकारी विभाग में इस प्रणाली से राजस्त में अभी भी वृद्धि संभावित है। इसके लिए दुकान आवंटन प्रणाली, लाइसेंस फीस, प्रतिफल फीस निर्धारण, दुकानों की संख्या और उसके अनुरूप दुकानों का स्थानीय निकायों द्वारा निर्माण, विक्रेता के रूप में आबकारी मित्र बनाना आदि रचनात्मक प्रयास करने होगें।

लंबे समय तक एक ही प्रकार की कार्यप्रणाली अपनायें जाने से उसमें समय के साथ दोष पैदा हो जाता है और उस दोष को दूर करने के लिये कार्य प्रणाली में सुधार आवश्यक हो जाता है। आबकारी अपराध ज्यादातर राजस्व से जुड़े होते हैं। ऐसे अपराधों को नजरअंदाज करने के बजाय रेगुलेट करने से इन्हें समाप्त किया जा सकता है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए तीन मंत्र पहला ईज ऑफ डूइंग बिजनेस दूसरा इनोवेशन और तीसरा भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस महत्त्वपूर्ण हैं।

अधिकतम राजस्व प्राप्ति हेतु मदिरा उपभोग से अर्जित राजस्व के अतिरिक्त दुकान आवंटन प्रणाली व अन्य माध्यमों से सुधार किया जाना चाहिए। प्रतिवर्ष सार्वजनिक लाटरी के माध्यम दुकानों का आंवटन किया जाय। लॉटरी द्वारा किसी दुकान हेतु कम-से-कम तीन लाइसेंसधारी का चयन वरीयता क्रम में किया जाय। इसका परिणाम यह होगा कि अगले दो इन वेटिंग’ लाइसेंसधारी दुकान की गतिविधि पर प्रभावी नजर रखेंगे और इनकी सर्तकता का परिणाम यह होगा कि वर्तमान लाइसेंसधारी अपनी दुकान पूर्णतः नियमोचित तरीके से संचालित करेगा। यदि मध्य सत्र में दुकान का लाइसेंस निरस्त किया जाता है तो विभाग को ई- टेण्डर या अन्तरिम व्यवस्थापन की प्रक्रिया को नहीं अपनाना पड़ेगा और अगले इन वेटिंग’ अनुज्ञापी को नियमित दुकान का संचालन करने की अनुमति दे दी जायेगी। इस प्रकिया से दुकानें बगैर किसी बाधा के निरन्तर संचालित होती रहेंगी।

दुकानों का निर्माण करायें नगर निगम

देश के विकास के साथ-साथ जनसुविधाओं में पर्याप्त बढ़ोत्तरी हुई है। स्कूल अस्पताल, कालोनी व सार्वजनिक पूजा स्थल बढ़े हैं जिसके कारण विभाग को न्यायालयीय वादों में उलझना पड़ रहा है। ऐसी दशा में नगर नियोजन विभाग से तालमेल कर ऐसे स्थलों का चयन किया जाय जहाँ पर उपरोक्त समस्या न हो।

कोटे का समायोजन हो समाप्त

मदिरा दुकानों पर वास्तविक खपत की जानकारी न हो पाने के कारण दुकानों के एमजीक्यू / एमजीआर में खपत की तुलना में काफी असमानता है। यद्यपि नियमों में 20 प्रतिशत मदिरा अनुज्ञापी किसी दुकान को दे या ले सकता है अर्थात समझौता करने वाले अनुज्ञापन द्वय अधिकतम 20 प्रतिशत मदिरा का समायोजन, जिसका एमजीक्यू एमजीआर कम होगा, के आधार पर किया जा सकता है। पीओएस मशीन के उपयोग की शत-प्रतिशत सफलता के लिये यह आवश्यक है कि 20 एमजीक्यू और एमजीआर हो समाप्त IESCMS प्रणाली लागू होने से मदिरा की ट्रेकिंग आसवनी से उपभोक्ता तक की जा रही है। दुकानों से वैध मदिरा की बिक्री हो रही है। एमजीक्यू / एमजीआर दुकान की खपत के अनुरूप न होने के कारण ही अनुज्ञापी भय या लालच वश अनियमित कार्य कर रहा है। विभागीय अधिकारी वास्तविकता से पूर्णतः परिचित है और राजस्व हित के कारण नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में दुकान का एमजीक्यू / एमजीआर समाप्त कर मदिरा के मूल्य में बीएलएफ/एलएफ सहित प्रतिफल शुल्क प्रति बोतल (पीस) समाहित कर दिया जाए। ऐसा करने से सभी दुकानें स्वयमेव लाभप्रद हो जायेंगी। इससे जनहितकारी सरकार के रूप में वर्तमान व्यवस्था की साख बढ़ेगी।

आबकारी मित्र की हो नियुक्ति

रोडवेज में अनुबंधित बसों में चालक वाहन स्वामी द्वारा रखा जाता है और परिचालक परिवहन विभाग द्वारा नियुक्त होते हैं। इस मॉडल को विभाग में भी अपनाया जा सकता है। विभाग द्वारा संविदा पर विक्रेता के रूप में आबकारी मित्र रखे जाय जो नवीन तकनीक में कुशल हो यथा- आई.टी.आई या किसी एजेंसी से प्रशिक्षित हो, क्योंकि विभाग में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। इसका परिणाम यह होगा कि प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवा आबकारी मित्र के रूप में रोजगार पा सकेंगे और विभाग को प्रशिक्षित विक्रेता मिलेंगे। प्रतिशत बैरियर को समाप्त किया जाय। क्योंकि अनुज्ञापी दुकान पर खपत कम होने पर अपना अवशेष एमजीक्यू / एमजीआर दूसरे अनुज्ञापनों पर भेजते हैं। सभी दुकानों में हो परमिट रूम विदेशी मदिरा में भी बीयर दुकान की भांति परमिट रूम की व्यवस्था दी जाय। मॉडलशॉप दुकानों को समाप्त किया जाय क्योंकि जिस उद्देश्य से इनकी स्थापना की गयी उसका कोई औचित्य नहीं रह गया है। प्रतिभूति धनराशि हो 5 लाख प्रत्येक दुकान हेतु प्रतिभूति धनराशि 5 लाख रुपये निर्धारित की जाए जो वर्ष समाप्ति पर अनुज्ञापी को वापस होगी किन्तु मध्य सत्र में अनुज्ञापन के निरस्तीकरण की दशा में प्रतिभूति धनराशि जब्त होगी। इससे अवैध बिक्री को हतोत्साहित कर अधिकतम राजस्व भी अर्जित किया जा सकता है।

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