सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत फल उत्पादक किसानों की आय को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत, वाइन बनाने वाली कंपनियों को जिले में विशेष दुकानों की स्थापना करने की अनुमति दी जाएगी, जहां वीना कुमारी मीणा किसानों द्वारा उत्पादित फलों से तैयार की गई वाइन बेची जाएगी। इस नए कदम से किसानों को अपने फलों का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। वाइन के उत्पादन और बिक्री के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इस पहल के माध्यम से सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश में न केवल अंग्रेजी और देशी शराब तथा बीयर की बिक्री में वृद्धि हो, बल्कि वाइन की बिक्री को भी बढ़ावा दिया जाए।
आबकारी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने हाल ही में एक बयान में कहा कि प्रदेश में वाइन के उत्पादन में वृद्धि से स्थानीय फल उत्पादक किसानों को महत्वपूर्ण लाभ मिलने की संभावना है। इस क्षेत्र में बढ़ती मांग के कारण वाइन कंपनियाँ किसानों से अधिक मात्रा में फलों की खरीदारी करेंगी, जिससे किसानों की आय में सुधार होगा। साल 2026-27 में लाइसेंस नवीनीकरण का एक विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष के लिए 58,310 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे नए वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 60,000 करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करना है। मंडल स्तर पर वाइन की दुकानों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए 50,000 रुपये और जिलों में 30,000 रुपये का शुल्क देना होगा। आबकारी विभाग की प्रमुख सचिव, वीना कुमारी मीणा ने बताया कि यदि किसी कार्यक्रम स्थल पर अन्य प्रदेशों में निर्मित शराब का संग्रहण किया जाता है और उसे परोसा जाता है, तो इस मामले में कार्यक्रम का आयोजन करने वाले व्यक्तियों पर एक लाख रुपये तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है। यह नियम पहले लागू नहीं था, लेकिन अब इसे लागू करके सरकार ने शराब के अवैध व्यापार को रोकने का प्रयास किया है।