भारतीय वाइन के शौकीन अब टेंडर कोकोनट वाइन की खोज के साथ एक अनोखे और ताज़गी भरे पेय का आनंद ले सकते हैं। पहली बार नारियल की वाइन में फलों का मिश्रण मिलाकर एक अनोखा स्वाद तैयार किया गया है। कई सालों के लंबे इंतज़ार के बाद, केरल के किसान सेबेस्टियन पी. ऑगस्टीन ने वाइन का एक अनूठा संस्करण तैयार किया है। काजू, कट्टा चक्का और अंगूर की मदिरा के बाद, भारत ने नारियल की मदिरा का स्वागत किया है जिसे अधिकारियों से भी मंजूरी मिल गई है। हालाँकि नारियल और शराब दो अलग-अलग शब्द हैं जिन्हें शायद एक साथ नहीं सुना गया हो, लेकिन केरल के एक किसान ने अथक प्रयासों के बाद उन्हें एक साथ ला दिया है। 20 साल की कड़ी मेहनत और लगन के बाद सेबेस्टियन ने फलों और ताजे जूस से कम तीव्रता वाली वाइन बनाने के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस हासिल किया। हालाँकि, उन्हें नारियल के पानी से वाइन बनाने के लिए चीन के मौजूदा लाइसेंस के साथ कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिन्हें बाद में सुलझा लिया गया। सेबेस्टियन ने अन्य देशों में भी पेटेंट का प्रयास कर रहे हैं। केरल के ‘केरा केसरी’ पुरस्कार के भी सेबेस्टियन प्राप्तकर्ता हैं, जो आमतौर पर कृषि में योगदान को मान्यता देता है। इस वाइन का उत्पादन और बोतलबंदी सेबेस्टियन गार्डन में स्थित एक छोटी वाइनरी में की गई है तथा उत्पादित वाइन केवल शराब या पेय दुकानों के माध्यम से ही उपलब्ध होगी। साक्षी अरोड़ा
हर घूंट के बाद मिलेगा ताज़ा अनुभव
शराब उद्योग में क्राफ्ट बीयर और व्हिस्की का बोलबाला है, लेकिन वाइन के अपने प्रशंसक हैं। यह असाधारण वाइन सेबेस्टियन के भीमनाडी में 15 एकड़ के नारियल के खेत से आई है। सेवानिवृत्त अधिकारी और किसान, सेबेस्टियन ने आम, केला. पपीता, ड्रैगन फ्रूट और कटहल जैसे फलों के साथ नारियल का मिश्रण किया, जिससे कम अल्कोहल वाली वाइन तैयार हुई। पानी की जगह नारियल का इस्तेमाल करके ने वाइन के स्वाद को बढ़ाया और हर घूंट के बाद एक ताज़ा अनुभव प्रदान किया। इस वाइन में लगभग 8-10 प्रतिशत अल्कोहल होता है, जो नारियल का हल्का और ताज़ा स्वाद देता है जो निश्चित रूप से हर वाइनप्रेमी को पसंद आयेगी।