हाल ही में राज्यवार शराब के आधिकारिक आंकड़े जारी किये गये हैं। ये आंकड़े न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं बल्कि वहां के लोगों की अलग-अलग जीवनशैली और उपयोग की आदतों को भी दर्शाते हैं।
शराब पर कर वसूलने वाले राज्य
शराब पर सबसे कम कर संग्रह करने वाला राज्य झारखंड 67 प्रतिशत और सबसे अधिक गोवा 722 प्रतिशत था। ये निष्कर्ष एनआईपीएफपी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी) द्वारा मादक पेय पदार्थों पर करों से राजस्व जुटाना नामक एक वर्किंग पेपर का हिस्सा हैं। लेखकों ने 2011-12 के लिए घरेलू उपभोग व्यय पर एनएसएसओ के आंकड़ों के साथ-साथ राज्य वित्त के अलावा 2014-15 से 2022-23 की अवधि के लिए सीएमआईई सर्वेक्षणों पर आधारित अनुमानों का मूल्यांकन किया। राज्य उत्पाद शुल्क राज्य के अपने कर राजस्व (ओटीआर) का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है और इसमें आईएमएफएल, देशी शराब, बीयर और अन्य नशीले पदार्थों जैसे अफीम, भारतीय भांग और अन्य मादक दवाओं जैसे मादक पेय पदार्थों की खपत शामिल है। कुछ राज्य, राज्य उत्पाद शुल्क के अलावा मादक पेय पदार्थों पर बिक्री कर भी वसूलते हैं। मादक पेय पदार्थों पर राज्य उत्पाद शुल्क और बिक्री कर से संयुक्त राजस्व ओटीआर का एक बड़ा हिस्सा बनता है। सीएमआईई सर्वेक्षण के अनुसार, तेलंगाना को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए पिछले वर्षों की तुलना में महामारी वर्ष 2020-21 के दौरान औसत प्रति व्यक्ति वार्षिक व्यय में गिरावट आई है। कुछ राज्यों को छोड़कर, 2014-19 की तुलना में 2019-23 के दौरान औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय में गिरावट आई है।
18 राज्यों में से 11 राज्यों में 2018-19 की तुलना में 2019-20 में खपत में गिरावट देखी गई और 9 राज्यों में 2017-18 की तुलना में 2018-19 में खपत में गिरावट देखी गई। विश्लेषण से यह भी पता चला है कि जिन राज्यों में पेय पदार्थ निगम केवल थोक वितरण को नियंत्रित करते हैं, वे राज्य उत्पाद शुल्क से उन राज्यों की तुलना में अधिक राजस्व उत्पन्न कर रहे हैं जहां थोक और खुदरा दोनों व्यापार सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के साथ हैं। अधिकांश राज्य डिस्टिलरी कीमतों को नियंत्रित करने में शामिल हैं जबकि कुछ राज्य अंतिम उपभोक्ता कीमतों को भी नियंत्रित करते हैं। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक को छोड़कर, सभी राज्यों में मादक पेय पदार्थों पर राज्य उत्पाद शुल्क और बिक्री कर है। कर्नाटक में, बिक्री कर को बीयर, आईएमएफएल, फेनी और वाइन पर अतिरिक्त शुल्क के रूप में उत्पाद शुल्क में शामिल किया गया है। उदाहरण स्वरूप कर्नाटक और तमिलनाडु में कुल कर संग्रह का 78 प्रतिशत से अधिक बिक्री कर या अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से आता है, जबकि असम, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के लिए संयुक्त कर संग्रह में बिक्री कर का औसत हिस्सा 35-36 प्रतिशत था। ओडिशा और झारखंड के लिए यह 26 प्रतिशत और राजस्थान के लिए 14 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ के लिए, मादक पेय पदार्थों से संयुक्त राजस्व पर बिक्री कर/वैट का औसत हिस्सा 2012-14 से 2019-20 के लिए 1.66 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश मादक पेय पदार्थों पर बिक्री कर / केंद्रीय बिक्री कर से संयुक्त राजस्व का औसतन 6.93 प्रतिशत एकत्र करता है। अंततः शराब पर खर्च एवं कर संग्रह के ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि राज्य और क्षेत्र के आधार पर लोगों की प्राथमिकताएं एवं खर्च की आदतें कितनी भिन्न होती हैं।
शराब पर प्रति व्यक्ति उपभोग करने वाले राज्य
वित्त मंत्रालय भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अध्ययन के अनुसार दो तेलुगु भाषी राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के परिवारों में शराब पर प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक उपभोग व्यय देश में सर्वाधिक है। एनएसएसओ (नेशनल सैम्पिल सर्वे ऑफिस) के 2011-12 के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि आंध्र प्रदेश में शराब पर औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति खपत व्यय सर्वाधिक 620 रुपये है, तो सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (एसपीएचएस) से ज्ञात होता है कि तेलंगाना में औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति खपत व्यय सर्वाधिक 1,623 रुपये (2022-23 के लिए मौजूदा कीमतें) है। एनएसएसओ और सीएमआईई के आंकड़ों के आधार पर शराब के लिए सबसे कम खर्च वाला राज्य उत्तर प्रदेश है, जहां इस पर औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति उपभोग क्रमशः 75 रुपये और 49 रुपये है। एनएसएसओ के सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, उच्च व्यय वाले अन्य प्रमुख राज्यों में केरल 486 रुपये, हिमाचल प्रदेश 457 रुपये, पंजाब 453 रुपये, तमिलनाडु 330 रुपये और राजस्थान 308 रुपये शामिल हैं। इसी प्रकार सीएमआईई के आंकड़ों के आधार पर, 2022-23 के लिए मौजूदा कीमतों पर उच्च औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय वाले अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश 1,306 रुपये, छत्तीसगढ़ 1,227 रुपये, पंजाब 1,245 रुपये और ओडिशा 1,156 रुपये शामिल हैं।