कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मिजोरम सरकार के अंगूर खरीद के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। इस साल 2024 सीजन के दौरान 3,460 मीट्रिक टन अंगूर को 50 रुपये प्रति किलोग्राम के बाजार पर खरीदने का निर्णय लिया गया है। इस पहल से मिजोरम के अंगूर किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। कृषि मंत्रालय के एक्स हैंडल पर भी इसकी जानकारी दी गई है। भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित मिजोरम के हनाहलान गांव को बड़े पैमाने पर अंगूर उत्पादन के लिए जाना जाता है। हनाहलान अब भारत में सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक गांव बनने का प्रयास कर रहा है। बताया जाता है कि लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण 10 साल पहले आदिम स्थानांतरित खेती को छोड़ने के बाद अंगूर की खेती करने लगे थे।
मिजोरम के चम्फाई जिले में बड़े पैमाने पर अंगूर की खेती की जाती है। हनाहलान और चम्फाई के तलंगसम में दो वाइनरी लगाई गई हैं। संचालन और रखरखाव हनाहलान ग्रेप ग्रोअर्स सोसाइटी और चम्फाई ग्रेप ग्रोअर्स सोसाइटी द्वारा किया जाता है। यहां उत्पादित वाइन को इसाबेला’ और ‘चैम्प वाइन’ ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है। मिजोरम शराब पूर्ण निषेध (एमएलटीपी) अधिनियम में संशोधन से अंगूर किसानों का उत्साह बढ़ा है। अधिनियम ने पहले उन्हें अपने उत्पादों के बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण और अंगूर से शराब बनाने से रोका था। आमतौर पर एक क्विंटल अंगूर का रस 15,000 रुपये तक का होता है।