शराब की बिक्री और खपत मौलिक अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी भोपाल के एक शराब ठेकेदार द्वारा दुकान के स्थानांतरण से हुए घाटे को लेकर दायर याचिका की सुनवाई में की। हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने कहा कि शराब पर प्रतिबंध लगाने और स्थानांतरण को अनिवार्य करने सहित शराब व्यापार को विनियमित करने की राज्य की शक्ति, इसकी व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा जिम्मेदारियों के अनुरूप है। शराब की दुकान के स्थानांतरण के लिए राज्य का निर्देश दुकान के मालिक के व्यापार करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।
हिमालय ट्रेडर्स ने शुरुआत में हबीबगंज फाटक भोपाल के पास लाइसेंस प्राप्त मिश्रित शराब की दुकान संचालित की थी। निर्देशों के बाद, दुकान को अस्थायी रूप से
पेट्रोल पंप के सामने एक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद, याचिकाकर्ता को दुकान को उसके वर्तमान स्थान से दूर कोलार रोड पर स्थानांतरित करने का आदेश मिला।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बार-बार स्थानांतरण से अनुचित वित्तीय बोझ पड़ता है और साथ ही बदलाव के लिए दिए गए कारणों की वैधता पर भी सवाल उठाया है। याचिकाकर्ता ने भोपाल के कलेक्टर (आबकारी) द्वारा जारी 16 मई, 2024 के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उनकी
मिश्रित शराब की दुकान को कोलार रोड पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बार-बार स्थानांतरण अनुचित था और अत्यधिक लागत लगाई गई थी। उन्होंने दावा किया कि स्थानांतरण के कारण अनुचित थे और ऐसे निर्णयों में व्यवसाय पर वित्तीय प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए।
सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि राज्य को अपनी उत्पाद शुल्क नीतियों के तहत शराब की दुकानों के स्थान को विनियमित करने का अधिकार है। उन्होंने पेट्रोल पंप के पास दुकान के स्थान के संबंध में कई शिकायतों का हवाला दिया, जिसमें सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए स्थानांतरण की आवश्यकता पर बल दिया गया। हाईकोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।