केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 23 जुलाई को पेश किए गए बजट में कुछ ऐसे प्रावधान किए हैं, जिससे शराब कम्पनियों को फायदा हो सकता है। शराब बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) पर लगने वाले जीएसटी को हटा दिया गया है। इसके लिए सरकार ने सेंट्रल जीएसटी लॉ के सेक्शन 9 में संशोधन किया है। इससे शराब बनाने की लागत कम होगी और ग्राहकों को सस्ती शराब मिल सकती है। अभी ईएनए पर जीएसटी लगता है लेकिन शराब पर नहीं। इससे शराब बनाने वाली कंपनियों को दिक्कत हो रही थी, क्योंकि उन्हें कच्चे माल पर जीएसटी देना पड़ता था, लेकिन वो उसका लाभ नहीं ले पाते थे। अब केंद्र FREE सरकार ने ईएनए को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अलग-अलग राज्यों में ईएनए पर अलग-अलग टैक्स लग सकता है।
शराब की कीमतों पर प्रभाव
हालांकि, यह प्रभाव अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकता है। यदि निर्माता और आपूर्तिकर्ता दोनों अपने उत्पादों पर जीएसटी लगाते हैं, तो निर्माता खरीद पर भुगतान किए गए जीएसटी के लिए क्रेडिट का उपयोग कर सकते हैं, जिससे आपूर्ति की प्रभावी लागत कम हो सकती है। । कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अब यह स्पष्ट है कि ईएनए पर जीएसटी नहीं लगेगा। पहले कुछ कुछ ईएना ईएनए आपूर्तिकर्ता जीएसटी वसूल रहे थे, जो शराब कंपनियों के लिए उचित नहीं था। जिसके चलते शराब कंपनियों की खरीद लागत बढ़ जाती थी। अब जीएसटी के बजाय ईएनए पर वैट लगाया जा रहा है, इसलिए शराब कंपनियों की खरीद लागत कम होनी चाहिए।