एथेनॉल की बढ़ती मांग और ईबीपी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यूपी सरकार काफी सजग है। गन्ना विभाग आगामी सत्र 2024-25 के लिए एथेनॉल उत्पादन और आपूर्ति के लिए अपनी रणनीति बना रही है। सरकार द्वारा प्रदेश में एथेनॉल आपूर्ति करने वाली इकाईयों से गन्ना के उपोत्पाद से तैयार किये जाने वाले एथेनॉल की अनुमानित उत्पादन के आंकडे प्राप्त किये जा रहे हैं। प्रदेश में सबसे अधिक एथेनॉल गन्ना और उसके उपोत्पाद से तैयार होता है। आगामी सत्र में गन्ना विभाग के मुताबिक गन्ना और इसके उपोत्पाद से लगभग 146 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाई जायेगी। अभी कुछ दिन पहले एथेनॉल उत्पादकों से एथेनॉल बनाने में अनाज की जरूरतों पर कृषि एवं खाद्य विभाग और आबकारी विभाग के साथ एक बैठक हुई थी। एथेनॉल मिश्रण परियोजना जहां पर्यावरण की दृष्टि से प्रदूषण नियंत्रण में बड़ी भूमिका निभा रहा है वहीं इस उद्योग से बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन और किसानों की आमदनी में वृद्धि भी हो रहा है। सरकार के माताबिक आगामी सत्र में उत्पादन इकाईयां लगभग 54 करोड़ एथेनॉल सी-हैवी मोलासेस से बनायेंगी। बी-हैवी मोलासेस से कंपनियां लगभग 59 करोड़ लीटर एथेनॉल बनायेंगी। शुगर केन जूस / चीनी सीरप जिस पर पिछले वर्ष सरकार ने कुछ समय तक रोक लगाई थी, उससे भी लगभग 23 करोड़ लीटर एथेनॉल बनाई जायेगी।
उत्तर प्रदेश में लगभग 10 कंपनियां केन जूस से एथेनॉल बनाती हैं। बलरामपुर शुगर ग्रुप की मैजापुर इकाई और बलरामपुर इकाई में शुगर केन से एथेनॉल बनाई जा रही है। द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्री लि. के बिजनौर इकाई और बरेली इकाई में तथा जुआरी इंडस्ट्री लि. लखीमपुर खीरी में इससे निर्माण होता है। बजाज हिंदुस्थान की किनौनी इकाई मेरठ तथा खम्भारखेड़ा इकाई खीरी, डीसीएम श्रीराम लि. अजबापुर खीरी, डालमिया चीनी मिल जवाहरपुर सीतापुर और धामपुर बायोआर्गेनिक असमौली संभल में केन जूस से एथेनॉल बनाई जाती है। सरकार अगले सत्र में गन्ना उत्पादन और चीनी उपभोग दोनों पर नजर लगाई हुई है। सरकार प्रदेश में नई एथेनॉल इकाईयों की स्थापना की बड़े स्तर पर मंजूरी दी है। सभी उत्पादन इकाईयों के लिए कच्चा माल की उपलब्धता भी होना आवश्यक है। हालाकि सरकार अनाज आधारित इकाईयों को स्वयं से कच्चा माल प्राप्त करने की जिम्मेदारी दी है। मोलासेस पर नियंत्रण सरकार का है। उत्तर प्रदेश में देशी मदिरा के लिए उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत मोलासेस आरक्षित किया जाता है।