राज्य में बढ़ती अल्कोहल इकाईयों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार के लिए कठिन साबित हो रहा है। आसवनियों के लिए प्रमुख रूप से कच्चे माल के रूप में उपयोग होना वाला मोलासेस उनकी मांग को पूरा करने में असमर्थ है। चीनी मिलों की मोलासेस सरकार अपने नियंत्रण में रखकर इन इकाईयों को उपलब्ध कराती है। सरकार द्वारा पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की योजना शुरू होने के बाद लगातार अल्कोहल / एथेनॉल की मांग बढ़ती जा रही है। मांग को पूरा करने के लिए अब अल्कोहल निर्माण में कुछ सेलेक्टिव अनाजों का भी उपयोग किया जा रहा है। चावल अनाजों में सबसे उपयुक्त कच्चा माल है परंतु इसके उत्पादन में अधिक जल की खपत होने से इसे अधिक कच्चे माल के रूप में उपयोग करना पर्यावरण की दृष्टि से उचित नहीं है। चावल के बाद मक्का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कच्चा माल अल्कोहल के लिए है।
मक्का की खेती सभी मौसम में और सभी क्षेत्र में कम पानी से किया जा सकता है। मक्का कई उद्योगों के लिए पहले से ही महत्वपूर्ण अनाज है। बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार और निजी संगठन इसकी खेती के विस्तार और विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं। यूपीडीए सहित कई आसवनियां यूपी में इसके विकास पर काम कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी अनाज आधारित आसवनियों को किसानों के साथ मिलकर गोष्ठियां आयोजित करने के आदेश दिये गये हैं। प्रदेश सरकार द्वारा कहा गया है कि अल्कोहल इकाईयां कृषक उत्पादन संगठनों (एफपीओ) के साथ मिलकर विशेष सेमीनार और वेबिनार आयोजित करें। उत्पादन इकाईयों के प्रतिनिधि किसानों को मक्का उत्पादन के संभावनाओं एवं उससे कृषकों के आय वृद्धि के विषय पर उन्हें जानकारी दें। इस सम्बंध में आबकारी आयुक्त कार्यालय में प्रभारी प्राविधिक अधिकारी संदीप बिहारी मोडवेल ने एक पत्र जारी कर इसकी सूचना सभी आसवनियों एवं यवासवनियों को दिया है। उन्होंने बताया कि अनाज आधारित और डुअल मोड पर चलने वाली आसवनियों को अपने क्षेत्र में किसानों को सहयोग करने से उन्हें इसका लाभ मिलेगा। आसवनी अपने जनपद में किसानों द्वारा अधिक से अधिक क्षेत्रफल में मक्का उत्पादन पर ध्यान देगी तो उन्हें स्थानीय स्तर पर ही कम लागत पर कच्चा माल उपलब्ध होगा।