अंगूर की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए सही समय पर इसकी खेती और अच्छी किस्मों का चुनाव बहुत जरूरी है। कुछ किस्में ऐसी हैं जो खासकर जूस और वाइन बनाने के लिए फेमस हैं। इनमें से एक किस्म है पूसा नवरंग। इसका इस्तेमाल जूस और वाइन बनाने में किया जाता है। इसकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। साथ ही गर्मियों में इसकी मांग बाजार में बढ़ जाती है।
पूसा नवरंग अंगूर की एक संकर किस्म है, जिसे हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है। यह किस्म ज्यादा पैदावार देने के साथ-साथ बहुत जल्दी पक भी जाती है। इसके फलों के गुच्छों का आकार मध्यम होता है और इसके फल बिना बीज के, गोलाकार और काले रंग के होते हैं। अंगूर की इस किस्म के गुच्छे लाल रंग के भी होते हैं। साथ ही जूस और वाइन बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इसी किस्म के अंगूरों का इस्तेमाल किया जाता है।
अंगूर की खेती के लिए सबसे पहले खेतों को अच्छी तरह तैयार करना होता है। इसके बाद कुछ दिनों के लिए खेत को खुला छोड़ दें। खेत को खुला छोड़ने से खेत की मिट्टी को अच्छी धूप मिलती है। इसके बाद एक रोटावेटर का उपयोग करें और दो से तीन बार तिरछी जुताई करें, ताकि खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए। कुछ दिनों के बाद, खेत में 15 से 18 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। इसके बाद फिर से जुताई करें ताकि खाद खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाए। फिर खेतों में गड्ढे तैयार करें। सुविधा के अनुसार उन गड्ढों के बीच की दूरी रख सकते हैं। गड्ढे तैयार करते समय, उचित मात्रा में खाद डालें और जब गड्ढे अच्छी तरह से तैयार हो जाएं, तो खेत में अंगूर की कलमों को लगाएं। कलम लगाते समय ध्यान रखें कि कलमें एक साल पुरानी होनी चाहिए। खेत में अंगूर की कलम लगाने के बाद हल्की सिंचाई करें।
भारत में बागवानी फसलों के बीच अंगूर की खेती का प्रमुख स्थान है। इसकी खेती भारत के विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर की जाती है। अंगूर का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में होता है।