हाईकोर्ट ने न्यूनतम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने की मांग करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आबकारी विभाग को आदेश दिए कि वह मेसर्स नरेंद्र कुमार और मीरा ठाकुर को न्यूनतम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने के लिए बाध्य न करें। शराब के खुदरा कारोबारी प्रार्थी के अनुसार शराब के ठेके की नीलामी पूरी होने के बाद सरकार ने न्यूनतम गारंटी कोटे के तहत उठाई जाने वाली शराब की मात्रा बढ़ा दी।
06 मार्च 2023 को सरकार ने सत्र 2023-24 के लिए राज्य आबकारी नीति स्वीकृत की थी। इसके बाद अप्रूव्ड आबकारी नीति के तहत ठेके आवंटन करने के लिए कुछ शर्तों का निर्धारण किया गया। सोलन जिला के लिए ठेके आवंटन करने हेतु आवेदन आमंत्रित करने के बाद बोली की तारीख 17 मार्च 2023 रखी गई। इसके तहत खुदरा कारोबार के लिए शराब उठाने की न्यूनतम मात्रा सालाना तौर पर निर्धारित की गई, जिसे मिनिमम गारंटी कोटा कहा गया।
प्रार्थी का कहना था कि नियमानुसार इस वार्षिक कोटे को मासिक आधार पर 12 भागों में बांटा जाना था और ऐसा न करने वाले पर जुर्माने का प्रावधान भी दिया गया है। इन शर्तों को मानते हुए प्रार्थी ने 13.69 करोड़ की बोली लगाई और सोलन क्षेत्र के लिए उसे सफल बोलीदाता घोषित किया गया। इसके बाद 27 मार्च 2023 को एक कार्यवाही अचानक जारी करते हुए न्यूनतम गारंटी कोटे को एकतरफा बढ़ा दिया गया। प्रार्थी ने इसे आबकारी नीति के खिलाफ बताते हुए याचिका दायर की है।
कर एवं आबकारी विभाग के हुए दो विंग
राज्य कर एवं आबकारी विभाग के पुनर्गठन को लेकर नोटिफिकेशन जारी हो गई है। अब इसके दो विंग होंगे। इसमें एक एक्साइज और दूसरा जीएसटी विंग होगा। इसका कमिश्नर एक होगा। जीएसटी विंग के हेडक्वार्टर, जोनल और सर्किल होंगे। एक्साइज विंग चार टीयर हेडक्वार्टर, जोनल, जिला और सर्किल होंगे। बता दें कि 12 जनवरी को कैबिनेट बैठक में राज्य कर एवं आबकारी विभाग के पुनर्गठन को स्वीकृति प्रदान की थी। आबकारी विंग तथा जीएसटी एवं सम्बद्ध कर विंग सृजित करने का निर्णय लिया था। इससे विभाग की कार्य प्रणाली को और सुगम बनाया जा सकेगा। इसको लेकर आज नोटिफिकेशन जारी हो गई।
सरकार का कहना था कि वह शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए आबकारी नीति के तहत ही शराब उठाने की न्यूनतम मात्रा कभी भी बढ़ा सकती है। सरकार का यह भी कहना था कि प्रार्थी को 26 अप्रैल 2023 को लाइसेंस जारी किया गया था, इसलिए वह बढ़ा हुआ न्यूनतम कोटा उठाने के लिए बाध्य है। मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आबकारी नीति का अवलोकन करने पर पाया कि विभाग एकतरफा आदेश जारी कर न्यूनतम कोटा नहीं बढ़ा सकती। कोर्ट ने प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि शराब की जिस न्यूनतम मात्रा के लिए प्रार्थी ने बोली में भाग लेकर सफलता पाई, उसकी शर्तों के विपरीत अब सरकार न्यूनतम कोटे की मात्रा में एकतरफा कोई बदलाव नहीं कर सकती।