दिल्ली के बाद अब केरल में ‘शराब घोटाले के आरोप लग रहे हैं। आरोप ये कि केरल में नई शराब नीति लागू करने के लिए बार मालिकों से लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं। और इन आरोपों को हवा दी है एक वायरल ऑडियो ने। ऑडियो में बार मालिकों से कथित रूप से ढाई लाख रुपये की मांग की जा रही है। इन आरोपों को पिनराई विजयन सरकार बेबुनियाद बता रही है। हालांकि सरकार ने वायरल ऑडियो और आरोपों की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी है।
एक ऑडियो 24 मई को वायरल हुआ था। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ऑडियो केरल के ‘इडुक्की जिला होटल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एनिमोन का है। ऑडियो इडुक्की जिला होटल बार एसोसिएशन के वॉट्सऐप ग्रुप से वायरल हुआ था। इस ऑडियो में एनिमोन कथित रूप से इडुक्की के बार मालिकों से ढाई लाख रूपए मांग रहे हैं। आरोप है कि ये पैसे केरल में नई शराब नीति लाने के लिए मांगे जा रहे थे। ऐसी नीति जो शराब विक्रेताओं के लिए लाभकारी हो।
इंडिया टुडे की रिपोर्टर शिबीमोल के अनुसार, एनिमोन ने किसी पार्टी या नेता का नाम नहीं लिया है। लेकिन वो शराब नीति को आसान बनाने की बात करते सुने जा सकते हैं. ऑडियो के बाहर आते ही केरल की पिनराई विजयन सरकार पर सवाल उठने लगे। मामले पर सरकार की तरफ से आबकारी मंत्री एमबी राजेश का बयान आया है। उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जो लोग पैसे देकर शराब नीति को प्रभावित करने का सोच रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। वायरल ऑडियो पर केरल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कुमार ने दूसरा पक्ष रखा है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए उन्होंने कहा, ’23 मई को एनिमोन को एसोसिएशन से निष्कासित किया गया। यह ऑडियो क्लिप उनके निष्कासन के ठीक बाद बनाया गया था। एसोसिएशन ने तिरुवनंतपुरम में संगठन के लिए एक कार्यालय भवन खरीदने की योजना बनाई। जिसके लिए सभी से 2.5 लाख रुपए जमा करने का केरल के बार मालिक लंबे समय से इस नीति को बदलवाना चाहते हैं। साथ ही यह मांग भी कर रहे कि बार के बंद होने का अनुरोध किया गया। जबकि एनिमोन और कुछ अन्य लोगों का विचार था कि एसोसिएशन के पास पहले से ही कोच्चि में एक भवन है। इसलिए दूसरे भवन की आवश्यकता नहीं है। एसोसिएशन ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया। अब एनिमोन ने साजिश रची है। एक तरफ नई शराब नीति के लिए पैसों की उगाही के आरोप लग रहे हैं। तो दूसरी तरफ सरकार कह रही है कि नई शराब नीति पर तो कोई चर्चा ही नहीं हुई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा सरकार झूठ बोल रही है कि ड्राई डे को हटाने की कोई चर्चा नहीं हुई। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी चुप्पी साधे हुए हैं। मुकदमे के बावजूद मुख्यमंत्री ने सतर्कता जांच का आदेश नहीं दिया है। केरल में हर साल नई शराब नीति लागू की जाती है। इसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किए जाते हैं। जैसे, पिछले साल बार लाइसेंस फीस बढ़ाकर 30 लाख से 35 लाख कर दी गई थी। इसी नीति के तहत अभी नियम है कि हर महीने की पहली तारीख को ड्राई डे रहेगा। मतलब कि हर महीने की एक तारीख को शराब की बिक्री नहीं होगी।
2015 का शराब घोटाला
केरल में शराब नीति में रिश्वत लेने की घटना पहले भी हो चुकी है। बात 2015 की है। तब कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) की सरकार थी। आरोप लगा था कि तत्कालीन बार ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष बीजू रमेश ने सरकार को 1 करोड़ रुपये का घूस दिया था, ताकि शराब नीति को उनके पक्ष में कराया जा सके। उस समय मुख्यमंत्री ओमान चांडी की सरकार के वित्त मंत्री के. मणि और आबकारी मंत्री के. बाबू को इस मामले में इस्तीफा देना पड़ा था।
समय रात को 11 बजे के बजाय 12 बजे हो जाए। अब ऑडियो आने के बाद विपक्ष का आरोप है कि पैसों की व्यवस्था सरकार से इन्हीं मांगों को मनवाने के लिए की जा रही थी। विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहा है। केरल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने आबकारी मंत्री एम. बी. राजेश के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बार मालिकों से 25 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर नई शराब नीति लागू की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा है कि केरल में दिल्ली मॉडल’ जैसी बार रिश्वतखोरी हो रही है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जैसी परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। अब यह स्पष्ट हो गया है कि बार के मालिक ही राज्य की शराब नीति को निर्देशित कर रहे हैं।