यूपी डिस्टिलर्स ए स् ा ा े ा f स् ा ए श् ा न् ा (यूपीडीए) १९८३ से डिस्टिलरी उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाला एक शीर्ष राज्य निकाय है, जो नीति और विनियामक मामलों पर सलाहकार की भूमिका निभाता है। नीति और विनियामक मामलों पर विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के साथ यूपीडीए उद्योग से सम्बन्धित मामलों को रखने के लिए अधिकृत संस्था है। हाल के वर्षों में यूपीडीए एक ऐसे अग्रणी उद्योग संघ के रूप में उभर कर सामने आया है जिसने एथेनॉल उत्पादन के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। एथेनॉल के फीडस्टॉक के रूप में उभर रहे मक्का पर कई सरकारी और निजी योजनाएं प्रस्तुत की गई हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करना और भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के साथ एडवासं स्टेज में डिस्कशन जैसे ऐतिहासिक कदम यूपीडीए द्वारा उठाया जा रहा है। इसका उद्देश्य नव विकसित संकर मक्का किस्मों का बड़े पैमाने पर मूल्यांकन और डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन विद सॉल्यूबल्स (डीडीजीएस) में उच्च एथेनॉल रिकवरी और बेहतर प्रोटीन गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है। भविष्य में ‘मक्का’ यूपी और भारत के आगे के विकास और महत्वाकांक्षी ई-२० ब्लेंडिंग लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ईएसवाई २०२३-२४ के एथेनॉल टेंडर में अकेले मक्का फीडस्टॉक से ३० प्रतिशत से अधिक अर्थात १९८ करोड़ लीटर उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है। जिसके लिए ५ मिलियन मीट्रिक टन मक्का की आवश्यकता है। कुछ यूपीडीए सदस्य पहले से ही जलग्रहण (वैâचमेंट) क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी संगठनों से उपलब्ध सर्वोत्तम बीजों को खरीद के साथ बुवाई करा रहे हैं। वर्तमान में न केवल भारत में मक्का का उत्पादन सीमित है, बल्कि गुणवत्ता में सुधार और बदलाव की भी आवश्यकता है।
कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने हाल ही में राज्य सरकारों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई)/ एकीकृत कृषि मूल्य श्रृंखला विकास (पीपीपीएवीसीडी) योजना के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत आसवनी के ५०-१०० किलोमीटर के क्षेत्रों में मक्का की खेती की योजना बनाने और उसे बढ़ावा देने की सलाह दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मक्का उत्पादन के लिए सर्वांगीण कदम उठाते हुए इसके लिए बजट भी आवंटित कर दिया है। यूपीडीए ने सरकारी कार्यक्रमों को अपना समर्थन देते हुए इस क्षेत्र के सभी हितधारकों अर्थात् किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), बीज निर्माता, बुवाई और कटाई मशीनरी निर्माता और ईकोसिस्टम को विकसित करने में सम्बंधित लोगों को शामिल करते हुए इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। इस रोडमैप से भविष्य में मक्का उत्तर प्रदेश और भारत के विकास और महत्वाकांक्षी ई-२० ब्लेंडिंग लक्ष्य को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हमें यह जानकर खुशी हुई कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मक्का उत्पादन के लिए लगभग ३० करोड़ रुपये का बजट आवंटित करते हुए कई कदम उठाए हैं। यूपीडीए और सदस्य डिस्टिलरियां सरकार के उठाये कदमों का समर्थन करते हुए अपनी योजना में १५० किमी के दायरे में जल ग्रहण क्षेत्र में मक्का बुवाई को प्रोत्साहित कर रही हैं। मक्का का फसल क्षेत्रफल बढ़ाने, उच्च उपज देने वाली किस्में विकसित करने, मशीनरी के लिए विशेष प्रोत्साहन और सब्सिडी के साथ फसल विविधीकरण के लिए रोड मैप के मुताबिक कार्य किया जा रहा है। यूपी में जलग्रहण क्षेत्रों में किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही गुजरात में प्रचलित मॉडल को अपनाने पर जोर देना होगा। प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने और मक्का उत्पादकों के लिए ई-नाम जैसे ऑनलाइन बाजार को विकसित करना होगा, ताकि बेहतर मूल्य निर्धारण और किसानों तथा उद्योगों के बीच सीधा संपर्क सुनिश्चित हो सके।
मक्का विकास के लिए यूपीडीए का प्रयास राष्ट्रीय सीमाओं से आगे भी है। यूपीडीए की टीम यूएस कृषि विभाग के तहत आने वाली यूएस ग्रेन्स काउंसिल के बुलाने पर अक्टूबर २०२३ में वाशिंगटन में मक्का और एथेनॉल के अध्ययन और जानकारी के लिए यात्रा पर गई थी। एथेनॉल क्षेत्र में सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए २३ अप्रैल २०२४ को नई दिल्ली में यूपीडीए और यूएस ग्रेन्स काउंसिल (यूएसजीसी) के बीच एक ग्राउंडब्रेकिंग एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं। यह दोनों देशों के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों और राजनयिकों और उद्योग के दिग्गजों की उपस्थिति में एक ऐतिहासिक दिन था। इस समझौते से भारतीय कृषि क्षेत्र और पारिस्थितिकी तंत्र में समझ बढ़ेगी, जिससे उच्च एथेनॉल के क्षेत्र में यूएसजीसी के प्रौद्योगिकियों से लाभ मिलेगा। आने वाले समय में मक्का के अधिकतम उपयोग के लिए प्रशिक्षण और डिजिटल प्लेटफार्म आदि का लाभ किसानों को प्राप्त होगा। यूपीडीए उद्योग, राज्य और राष्ट्र की सेवा में दृढ़ विश्वास के साथ बना हुआ है और खड़ा है।