राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर और एडवांटा सीड्स हैदराबाद के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ। इससे भारत सरकार के एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल अभियान को गति मिल सकेगी। यह एमओयू भविष्य के लिए एक स्थायी जैव ईंधन की दिशा में विकल्प के रुप में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। एमओयू के मुताबिक एनएसआई और एडवांटा सीड्स हैदराबाद विविध अनाजों से अल्कोहल बनाने के लिए विकल्प के रुप में स्वीट सोरगम और ग्रेन सोरगम के प्रयोग पर सहयोगात्मक अध्ययन करेंगे। इस कार्यक्रम के तहत एनएसआई के फॉर्म में स्वीट सोरगम का उत्पादन करना और इसके विभिन्न भौतिक, रासायनिक मापदंडों का अध्ययन करना तथा स्वीट सोरगम और ग्रेन सोरगम के रस से जैव एथेनॉल उत्पादन की क्षमता का अध्ययन करना शामिल होगा। इस सहयोगात्मक अनुसंधान में ग्रेन सोरगम का बीयर उत्पादन की क्षमता के लिए भी अध्ययन किया जाएगा। यह एमओयू भविष्य के लिए एक स्थायी जैव ईंधन की दिशा में विकल्प के रूप में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत सरकार के एक अभियान एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत देश में पेट्रोल में एथेनॉल के २० प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बचाने एवं पेट्रोल के आयात में कमी लाने के लिये भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत लक्ष्य की प्राप्ति पर सरकार काफी जोर दे रही है। यह समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. डी. स्वाईन, जैव रसायन विभाग प्रमुख प्रो. सीमा परोहा और एडवांटा सीड्स के तकनीकी सलाहकार डॉ.विलास टोनापी के हस्ताक्षर हुए।
प्रदेश में डिस्टिलरियों की संख्या हुई 88
प्रदेश सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन नीति से उद्योगों की बड़ी संख्या में स्थापना हो रही है। विगत सत्र में लगभग आधे दर्जन नई डिस्टिलरियां स्थापित हुई हैं और अब इनकी संख्या बढ़कर ८८ हो गई हैं। राज्य में मदिरा और औद्योगिक अल्कोहल उत्पादन करने वाली मिश्रित आसवनियों की संख्या ३६ हो गई हैं। चार ऐसी डिस्टिलरियां है जो केवल मदिरा उत्पादन पर आधारित हैं। राज्य में पेय मदिरा उत्पादन की संख्या ८०.१८ करोड़ लीटर की है। प्रदेश में ऐसी ४८ डिस्टिलरियां हैं जो केवल औद्योगिक अल्कोहल का उत्पादन करती हैं। राज्य में कुल औद्योगिक अल्कोहल उत्पादन क्षमता २८६.१८ करोड़ लीटर की है। इस तरह सभी प्रकार के अल्कोहल उत्पादन की क्षमता ३६६.७६ करोड़ लीटर की हो गई है। दो मिश्रित आसवनियां पिलखनी और शाकुंबरी बंद हैं। दो पेय आसवनियां यूएसएल शाहजहांपुर और मोहन मीकिंग लखनऊ बंद है। औद्योगिक अल्कोहल उत्पादन करने वाली आसवनियों में सिंथेटिक बरेली, नीबी स्टील मऊ, ओसवाल शाहजहांपुर तथा विजय श्री मथुरा में अल्कोहल का उत्पादन पिछले कई सालों से नहीं होता है।
किरायानामे में देना होगा ४ प्रतिशत स्टांप शुल्क
जिले में संचालित हो रही शराब की दुकानें अब किरायानामे में स्टांप की चोरी नहीं कर सकेंगी। अनुबंध के साथ ही शराब की दुकानों के अनुज्ञापियों को किरायानामे को नियमानुसार स्टांप के साथ रजिस्टीकृत कराना होगा। जिसके संबंध में आयुक्त स्टांप द्वारा आदेश जारी होने के बाद आबकारी विभाग इस संबंध में पत्र भेज दिया गया है। जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अब शासन द्वारा शराब की दुकान के अनुबंध के साथ ही रजिस्ट्रीकृत किरायानामा कराए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। आयुक्त स्टांप द्वारा इस संबंध में दिशा निर्देश जारी होने के बाद स्टांप विभाग द्वारा आबकारी विभाग को भी इसके संबंध में अवगत करा दिया गया है। सहायक आयुक्त स्टांप दीनानाथ वर्मा ने बताया कि शराब की दुकानों के नियमानुसार स्टांप शुल्क जमाकर किरायानामा अनुबंध कराए जाने के निर्देश मिले हैं। आबकारी विभाग को इस संबंध में पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है। एक वर्ष तक की अवधि के लिए ग्रामीण क्षेत्र में कुल देय किराये पर दो प्रतिशत की दर से स्टांप शुल्क जमा करना होगा, जबकि शहरी क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र से दोगुना स्टांप शुल्क जमा करना होगा। शहरी क्षेत्र में कुल देय किराये पर चार प्रतिशत स्टांप शुल्क जमा करना होगा। जबकि इससे अधिक समय के लिए स्टांप शुल्क की देयता भी बढ़ जाएगी।